जानिये क्या होती हैं चन्द्र,सूर्य और नाम राशि-Janiye Kya Hoti Hai Chandra, Surya Aur Naam Rashi
जानिये क्या होती हैं चन्द्र,सूर्य और नाम राशि-Janiye Kya Hoti Hai Chandra, Surya Aur Naam Rashi
राशि की जानकारी– अपने पिछले लेख में तो ज्योतिष राशियों की उत्पत्ति के बारे में तो पढ़ा हो होगा| कि किस प्रकार से चन्द्रमा के नक्षत्रों को आधार मानकर ज्योतिष की १२ राशियों का निर्माण हुआ| इस अंक में हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि जन्म कुंडली में चन्द्र राशि, सूर्य राशि और नाम राशि इनका निर्धारण कैसे किया जाता है| और यह किसी भी व्यक्ति के लिये इतना महत्वपूर्ण क्यों मन जाता है|
जैसा कि अपने पिछले लेख में पढ़ा है कि ज्योतिष की इन सभी १२ राशियों की उत्पत्ति कैसे हुई थी| ये सभी १२ राशियाँ व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं|इसके लिये उस सम्बंधित व्यक्ति की जन्म कुंडली का सम्पूर्ण अवलोकन करने के बाद ही, उस व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी दे पाना संभव हो पाता है|
ज्योतिष में राशियों का महत्त्व एवं उनके प्रकार
ज्योतिष शास्त्र में सबसे ज्यादा महत्त्व केवल राशियों का ही होता है| इनके बगैर ज्योतिष का कोई अस्तित्व ही नहीं है| इन सभी १२ राशियों के बगैर ज्योतिष निराधार है| कोई भी ज्योतिष बिना राशि के किसी भी प्रकार की गणना या अन्य जानकारी प्रदान करने में सक्षम नहीं होता है| और सभी १२ राशियाँ व्यक्ति के जीवन को बहुत प्रभावित करती हैं|
इन राशियों के स्तिथि के आधार पर ही ज्योतिषी व्यक्ति के जन्म कुंडली में जन्म राशि, ग्रह और राशि के स्वामी का अवलोकन कर उस व्यक्ति की प्रवृति, व्यक्ति के गुण-अवगुण, उसका व्यहार यहाँ तक की उस व्यक्ति को उसके जीवन में कितनी सफलता प्राप्त होगी| इसके बारे में जानकरी प्रदान की जाती है|किसी भी व्यक्ति की जन्म राशि के आधार पर उस व्यक्ति के निवास स्थान का नाम, व्यापर स्थल का नाम और उसके द्वारा किये जाने वाले व्यापर का नामकरण करना भी शुभ माना जाता है|
ज्योतिष में राशियों का निर्धारण चन्द्रमा, सूर्य और नाम के आधार पर किया जाता है| इसी के आधार पर राशियों को अलग-अलग वर्ग में रखा जाता है|इनके मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं| १. चन्द्र राशि, २. सूर्य राशि और ३. नाम राशि| ज्योतिष के अनुसार राशियों में विशेष तत्वों की प्रधानता होती है| जिन्हें ४ भागों में विभक्त किया गया है|जो कि क्रमशः अग्नि, जल, पृथ्वी और वायु हैं| जिसका विवरण आप पिछले लेख में पढ़ सकते हैं|
अगर राशियों के स्वाभाव की बात की जाये तो ये मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं| १. चर राशि, २. अचर राशि (स्थिर राशि) और ३. द्वि-स्वाभाव राशि|चर राशि के अंतर्गत मेष राशि, कर्क राशि, तुला राशि और मकर राशि आती है| वहीं अचर राशि के अंतर्गत वृषभ राशि, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और कुंभ राशि आती है| अंत में द्वि-स्वाभाव राशि के अंतर्गत मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि और मीन राशि आती है|
इसके अतिरिक्त ज्योतिष की इन सभी १२ राशियों को लिंग के आधार पर भी विभक्त किया गया है| १. पुरुष लिंग राशि और २. स्त्री लिंग राशि|पुरुष लिंग राशि के अंतर्गत मेष राशि, मिथुन राशि, सिंह राशि, तुला राशि, धनु राशि और कुम्भ राशि आती हैं| और स्त्री लिंग राशि के अंतर्गत वृषभ राशि, कर्क राशि, कन्या राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि और मीन राशि आती हैं|
ये तो हुए ज्योतिष की सभी १२ राशियों के प्रकार| आइये अब जानते हैं चन्द्र राशि, सूर्य राशि और नाम राशि के बारे में|
जैसे कि अपने पिछले लेख में पढ़ा होगा कि आकाशगंगा की दूरी २७ भागों में विभाजित किया गया है| और प्रत्येक भाग का नाम एक नक्षत्र रखा गया है| पौराणिक कथा के अनुसार चन्द्रमा का विवाह राजा दक्ष की २७ कन्याओं से हुआ था और ये सभी २७ कन्या चन्द्रमा के २७ नक्षत्र होते हैं| और प्रत्येक नक्षत्र के चार भाग किये गये जिसे चरण कहा जाता है| और इन्ही के आधार पर १२ राशियों का निर्माण हुआ| चन्द्रमा प्रत्येक राशि में ढाई दिन का संचरण करता है|
उसके पश्चात वह अगली राशि में पहुच जाता है| ज्योतिष के अनुसार इसे राशि की प्रधानता दी जाती है|भारतीय वैदिक ज्योतिष में सभी ९ ग्रहों में सबसे ज्यादा महत्त्व चन्द्रमा को दिया गया है|ज्योतिष के अनुसार तो इसे नाम राशि की भी संज्ञा दी जाती है| इसका कारण यह है कि ज्योतिष के अनुसार किसी भी नवजात के जन्म के समय उसका नाम का आधार उसकी चन्द्र राशि होती है|किसी भी व्यति के जन्म के समय चन्द्रमा जिस किसी भी नक्षत्र में स्थित होता है| उसके उस चरण के वर्ण से आरंभ होने वाला नाम ही उस व्यक्ति की जन्म राशि का निर्धारण करता है|
भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है| परन्तु भारतीय ज्योतिष में जन्म राशि की प्रधानता चन्द्र राशि को दी गयी है| तो यह सूर्य राशि का निर्धारण कौन कैसे और किस आधार पर करता है? इसका उत्तर है की सूर्य राशि की प्रधानता पश्चिमी देशों के ज्योतिषविदों ने दी है|अगर देखा जाये तो इस वर्त्तमान समय में सबसे ज्यादा प्रधानता सूर्य राशि को दी जा रही है| इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय सूर्य की स्तिथि क्या थी उसके आधार पर उस व्यक्ति की सूर्य राशि का निर्धारण किया जाता है|
ज्योतिष में सबसे आसान है नाम राशि को समझना| क्योंकि नाम राशि का अर्थ होता है की किसी भी व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर की राशि से सम्बन्ध रखता है|क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के नाम भी बहुत विशेष महत्त्व होता है| किसी भी व्यक्ति का नाम उसका व्यक्तित्व, गुण, स्वभाव इत्यादि के बारे में बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है| इस कारण से ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के नाम राशि का बहुत ही ज्यादा महत्त्व है और इसका ज्योतिष में बहुत ही विशेष स्थान है|
मित्रों अब-तक अपने जाना कि ज्योतिष में राशियों के कितने प्रकार होते हैं| चन्द्र राशि, सूर्य राशि और नाम राशि क्या होती है| अब आगे आने वाले लेख में हम आपको ज्योतिष से सम्बंधित बहुत सारी अनके और रोचक जानकारियाँ प्रदान करेंगे| आशा करता हूँ की आपको यह लेख पसंद आया होगा|हमारी कोशिश यही है की आपको ज्योतिष के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्रदान करें|जिससे की आप सभी को ज्योतिष के बारे जानना और समझना बहुत ही आसान हो जाये|
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